सर्वे एवं
बन्दोवस्त
I.
परिचय:-सर्वे का
तात्पर्य है जमीन पर किसी भाग को माप कर एक पैमाना निर्धारित कर नक्शा तैयार करना। सर्वे करने का कार्य
कारने का उद्देष्य यह है कि सही जमीन का लगान सही दर से निर्धारित किया जा सके।
साथ ही इसकी बन्दोबस्ती सही रैयत को हो एवं बार-बार बन्दोवस्ती नहीं करनी पड़े।
सर्वे के द्वारा लगान का सही निर्धारण के साथ जमीन की उपज बढ़ाने में भी मदद मिलती
है। इसके द्वारा रेकर्ड आफ राईट (खतियान) एवं परिवार के वंश वृक्ष का नवीकरण करने भी सहायता मिलती है।
II.
सर्वे का प्रकार-यह
चार प्रकार का होता है।
a.
थाकबस्त सर्वे-यह माप कर नहीं किया
जाता था बल्कि मौजा में सिर्फ एक नंबर देकर किया जाता था जो अब थाना नंबर कहा जाता
है।
b.
रैवेन्यू सर्वे-यह जमीन पर चार ईंच
बराबर एक मील के पैमाने पर मापा गया।
c.
कैडेस्ट्रल सर्वे-यह 1885-86 से
प्रारंभ होकर 1934 तक चला था। यह सोलह ईंच बराबर एक मील के
पैमाने पर माप कर नक्सा तैयार किया गया। इसके अनुसार ही इसके ब्लू प्रिंट नक्से के
आधार पर रिवीजनल सर्वे किया गया है।
d.
रिवीजनल सर्वे-यह कैडेस्ट्रल सर्वे के
आधार पर तैयार नक्शे को
आधार मानकर जमीन की पैमाईस किया जाता है एवं नक्से का ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता
है।
नोटः-वर्तमान में एरियल (हवाई) सर्वे
के द्वारा भूमि का सर्वे कराकर नक्शा
तैयार करने पर सरकार विचार कर रही है जो अभी प्रायोगिक अवस्था में है।
III.
सर्वे करने का प्रकार-यह पांच प्रकार
से किया जाता है।
a. चेन
सर्व
b. प्लेन
टेबुल सर्वे
c. थियोडोलाइट
सर्वे
d. प्रीमेटिक
कम्पास सर्वे ;
e. लेबलींग
सर्वे
IV.
सर्वे से संबंधित नियम (¼Rules
of Survey)-
सर्वे का कार्य
बिहार काश्तकारी अधिनियम-1885,
सर्वे
हस्तक एवं कार्यपालिका के तकनीकी अनुदेशों के
आलोक में किया जाता है। इस कार्य में ग्राम पंचायत के मुखिया, थाना,
संबंधित
विभाग एवं आमजन का सहयोग लिया जाता है।
यह बिहार काश्तकारी अधिनियम-1885 के अध्याय-10 के
धारा-101 से 115 के तहत तथा सर्वे बन्दोवस्त मैनुअल के
प्रक्रिया के आलोक में संपन्न कराया जाता है।
V.
सर्वे कार्य हेतु प्रखंड/अंचल स्तर पर
पदाधिकारियों का पदसोपान
1.
सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी
2.
कानूनगो (अंचल निरीक्षक के समकक्ष)
3.
परिमाप निरीक्षक (भूमि मापन एवं मानचित्रण
का निरीक्षण)
4.
अमीन (भूमि मापन का कार्य एवं
मानचित्रण)
5.
मोहर्रिर (उजरती कार्य)
6.
प्रारूपकार (नक्सा रंगना)
7.
भ्रमण लिपिक (दस्तावेज उपस्थापन एवं
अभिलेख संधारण करना)
8.
अनुसेवक
VI.
भू-सर्वेक्षेण कार्य का प्रक्रम एवं
चरण:-
बिहार सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र
एवं शहरी क्षेत्र के भू-सर्वेक्षण के लिये जिलावार अधिसूचना निर्गत किया जाता है।
इसके लिये भारतीय प्रशासनिक
सेवा के एक पदाधिकारी मुख्य रूप से नियुक्त किये जाते हैं। साथ ही इनके सहायता के
लिये एक बन्दोवस्त पदाधिकारी मुख्यालय, दो प्रभारी पदाधिकारी, एक
सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी मुख्यालय, एवं क्षेत्रीय कार्य करने के निमित्त
सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी नियुक्त किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय कार्य
के लिये कानूनगो (अंचल निरीक्षक के समकक्ष), परिमाप निरीक्षक,
प्रारूपक,
अमीन,
मोहर्रिर,
भ्रमण
लिपिक एवं अनुसेवक नियुक्त किये जाते हैं।
1. किस्तवार ¼Forming
Blocks on map)-सर्वे के प्रथम चरण में किस्तवार का कार्य
किया जाता है जिसमें सबसे पहले ग्राम का किस्तवार करने के लिये इसका ब्लू प्रिंट
मानचित्र बिहार सर्वेक्षण कार्यालय, गुलजारबाग से प्राप्त किया जाता है।
जिला के अन्दर राजस्व थाना नंबर के अनुसार प्रत्येक अंचल में 8
किलो मीटर की दूरी पर एक किस्तवार शिविर का
गठन किया जाता है। तत्पश्चात् उस ग्राम का तेरिज लेखन का कार्य किया जाता है
जिसमें संबंधित अभिलेखागार से संपर्क किया जाता है। तेरिज लेखन का कार्य का अर्थ
है संक्षिप्त खतियान अर्थात खतियान का सारांष तैयार करना। तेरिज में कुल खेसरा
खातावार एवं खाता रैयतों का इन्द्राज रहता है। खाता में अंकित कुल खेसरों की
संख्या और उन सभी कुल खेसरों का रकवा दर्ज रहता है, जिसे आबाद एवं
गैर-आबाद के रूप में दर्शाया
जाता है। किस्तवार कार्य में निम्नांकित उपकरणों अर्थात आलातों की आवश्यकता होती है।
o
-संबंधित ग्राम का गत् सर्वे का नील
मानचित्र
o
-संबंधित ग्राम का तेरिज
o
-घोषणा पत्र
o
-अमीन परवाना
o
-तख्ता, तिपाई, बेंच आदि।
o
-नक्शा सुरक्षा के लिये बरसाती
o
-गंटरी जरीब एक, सुजा (हंसुआ
जैसा) दस (एक जरीब = सौ कड़ी = 66 फीट के बराबर)
o
-झंडी दो अदद
o
-गुनिया एक-2‘‘ स्केल
o
-गंटरी चेन
o
-परकाल एक (Divider)
o
-डायगोनल स्केल एक (Diagonal
Scale)
o
-पटरी एक
o
-पेंसिल 4 एच एक, कुदाल
एक एवं लट्ठा
o
-राईटिंगल (Right
Angle)/समकोणिक-इसमें समतल दर्पण लगा रहता है।
o
-डायरी का फॉर्म एवं खाका तथा बलौटिंग
पेपर
अब
बन्दोवस्त पदाधिकारी के आदेश से एक दल का गठन किया जाता है जिसमें ग्राम के
मानचित्र के शीटों के अनुसार अमीन एवं अमीन के जाच के लिये इन्सपेक्टर, एक
कानूनगो एवं एक सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी शिविर प्रभारी के रूप मे कार्य करते
हैं। नक्शा हेतु प्रारूपक एवं अभिलेख हेतु भ्रमण लिपिक होते हैं। अमीन सबसे पहले
राजस्व ग्राम के चारो तरफ घूमकर राजस्व ग्रामों के मानचित्र से सरहद मिलान कर
मुस्तकिल (फिक्स प्वाईंट) कायम करते हैं। फिर मुस्तकिल से मुरब्बा कायम करते हैं।
मुरब्बा की लंबाई 12 से 14 जरीब से अधिक नहीं होनी चाहिए।
मुरब्बा को परिमाप निरीक्षक पास करते हैं एवं कानूनगो एवं पदाधिकारी भी इसकी जाँच कर पास करते हैं। किस्तवार कार्य
प्रायः उत्तर-पश्चिम दिशा से प्रारंभ किया जाता है। अमीन स्थल
पर ग्रामीणों के समक्ष संबंधित ग्राम का वर्तमान स्वरूप के अनुसार नक्शा तैयार करते हैं।
2.
खानापुरी (Filing numbers in blocks on map)-यह सर्वे का
दूसरा चरण है। इस कार्य को पूर्ण करने के लिये किस्तवार अमीनोें एवं परिमाप
निरीक्षकों का अंतर शिविर
स्थानान्तरण किया जाता है अर्थात जो अमीन व परिमाप निरीक्षक जिस क्षेत्र में
किस्तवार करते है उस क्षेत्र में खानापूरी कार्य करके दूसरे शिविर क्षेत्र का
खानापूरी कार्य करते हैं। अब तेरिज के अनुसार वर्तमान स्वरूप में वंश वृक्ष तैयार
करते हैं जिसकी जाच परिमाप निरीक्षक करते हैं। अब उत्तर-पष्चिम दिशा से नक्शा में पेन्सिल से नंबर डालते
हैं एवं तदनुसार अभिलेख तैयार करते हैं। इस कार्य को खानापुरी कहा जाता है।
खतियानी जमीन का यादास्त परिमाप
निरीक्षक पास करते हैं तथा केवाला से अर्जित भूमि का यादास्त शिविर कानूनगो पास
करते हैं। तनाजा की सुनवाई शिविर सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी द्वारा किया जाता है।
अब यादास्त एवं तनाजा से पास सभी खेसरों का इन्द्राज अमीन अभिलेख में करते हैं। अब
परिमाप निरीक्षक ग्राम में कोई नंबर नहीं छूटा हो इसका प्रमाण पत्र देते हैं। नक्शा
आलेख शाखा में एवं अभिलेख अभिलेखागार शाखा में जमा किया जाता है। खानापुरी हेतु आवश्यक
प्रपत्र-
o
-तेरिज अर्थात गत् सर्वे के खतियान की
संक्षिप्त प्रतिलिपि
o
-वंशावली (वंशवृक्ष फॉर्म)
o
-खेसरा फार्म
o
-खतियान, मालकी, रैयती
पर्चा
o
-याददास्त फार्म
o
-तनाजा (Disputes)
o
-पाक्षिक कारगुजारी (क्रियाकलाप) का
फार्म
3. रकवा
(area)कार्य-तीसरे
चरण में रकवा कार्य होता है जिसमें ब्लू मानचित्र के आलेख शाखा में सरहद एवं
मार्जन टेबुल ग्लास पर करने के बाद काला स्याही से सरहद मार्जन नंबर एवं प्लोटों
का मेड़ स्याह किया जाता है। इससे अमीन अलेग रकवा निकालते हैं। प्रथम एवं द्वितीय
रकवा निकालने के बाद रकवा का मिलान किया जाता है।
4. रिषेस
कार्य (Recess work)-यह
चैथा चरण है। निकाले गये रकवा को खेसरा पंजी एवं खतियान पंजी के तीनों प्रतियों
में दर्ज किया जाता है तथा खतियान को नाम के अक्षर के अनुसार खतियान का सिलसिलेवार
किया जाता है जिसे त्मबमेे कहा जाता है।
5. तसदीक
कार्य (Verification/Attestation)-पांचवे
चरण में तसदीक कार्य किया जाता है। एक सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी, एक
कानूनगो, एक पेषकार, मुन्सरीम एवं सर्वेयर अथवा अमीन तथा
अनुसेवक की एक टीम गठित कर तसदीक शिविर निकाला जाता है जिसमें तैयार खतियान पर्चा
के साथ गैरमानक नक्शा से तसदीक कार्य संपन्न किया जाता है। अब खतियान रैयतों के
बीच वितरित किया जाता है जिसके आधार पर रैयत त्रुटि निराकरण हेतु आपत्ति (बदर)
दर्ज कराते हैं। तसदीक पदाधिकारी द्वारा आपत्ति निराकरण करने के पश्चात् खतियान
अभिप्रमाणित कर सुधारित रैयती खतियान रैयतों के बीच वापस कर दिया जाता है।
6. प्रारूप
प्रकाषन (Publishing of Draft)-पेषकारी
जाँच के उपरांत एक महीने के लिये प्रारूप का प्रकाषन किया जाता है जिसके आधार
आपत्ति प्राप्त की जाती है। बी.टी. एक्ट-1885 के धारा-103ए
के तहत सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी सुनवाई कर निष्पादन करते हैं। बी.टी. एक्ट-1885 के
धारा-103ए(3) के तहत पुनरीक्षण वाद किया जा सकता है जिसकी
सुनवाई बन्दोवस्त पदाधिकारी/प्रभारी पदाधिकारी के द्वारा कर निष्पादन किया जाता
है।
7. जाँच
प्रशाखा (enquiry
Section)-धारा-103ए(3) के
तहत पारित आदेषों के तरमीम संषोधन संबंधित जाँच के साथ खतियान इन्द्राज का तकनीकी
दृष्टिकोण से भी जाँच शतप्रतिषत मुन्सरीमों के द्वारा किया जाता है। अब खतियान की
तीन प्रतियों में तैयार करने हेतु सफाई प्रशाखा में भेजा जाता है।
8. सफाई
प्रशाखा (Correction
Section)-जाँच प्रशाखा से तैयार ग्राम के खतियान की
तीनों प्रति यथा समाहरणालय प्रति, मालकी प्रति एवं रैयती प्रति तैयार
करने का कार्य इस प्रशाखा के द्वारा किया जाता है। यह सामान्यतया सफाई माहर्रिर
(उजरत भोगी अर्थात Daily wage/ Contract basis)
से कराया जाता है। सफाई के क्रम में कटिंग आदि पर हस्ताक्षर प्रशाखा पदाधिकारी
द्वारा किया जाता है। अब खतियान की तीनों प्रतिया मोकाबिला प्रशाखा को भेजा जाता
है।
9. मोकाबिला
प्रशाखा (Comparison Section)-सफाई
से प्राप्त खतियान का मूल खतियान से मिलान इसी शाखा में किया जाता है। त्रुटियों
के उत्पन्न होने की स्थिति में निराकरण सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी मुकाबिला प्रशाखा
के आदेश से कर दिया जाता है।
10. आलेख
प्रशाखा (script section)-यह मुख्य रूप
से मानचित्र का प्रशाखा है जिसमें प्रारूपक होते हैं जिसमें एक प्रधान प्रारूपक
होते हैं। इनके सहायता हेतु नक्शा मोहर्रिर होते हैं। यह शाखा संबंधित ग्राम के नक्शा
को हेडिंग, अलामात, स्केल, स्क्वायर
एवं झंडी आदि से तैयार कर संबंधित ग्राम के मूल मानचित्र पर बन्दोवस्त पदाधिकारी
का अंतिम हस्ताक्षर कराते हुये उस ग्राम के अभिलेख में अंकित खातानुसार जितनी
प्रतिया मुद्रित होगी उसके अनुसार नक्शा अन्तिम मुद्रण हेतु सर्वेक्षण कार्यालय
गुलजारबाग भेजा जाता है। अब मानचित्र अंतिम प्रकाषन हेतु भेजा जाता है।
11. अन्तिम
प्रकाषन (Final Publishing)-यह
भू-सर्वेक्षण का अंतिम चरण है। बी.टी. एक्ट-1885 के धारा-103ए (2)
के
तहत तैयार अभिलेखों एवं मानचित्रों का अंतिम रूप से प्रकाषन शिविर निकालकर किया
जाता है। खतियान अभिप्रमाणन की तिथि से तीन माह के अंदर बी.टी. एक्ट-1885 के
धारा-106 क तहत एवं बी.टी. एक्ट-1885 के धारा-108ए के तहत पांच
वर्षों के अंदर बन्दोवस्त पदाधिकारी के न्यायालय में वाद दायर करने का प्रावधान
है।
बिहार में अबतक दो प्रकार के सर्वे के
आधार पर नक्सा तैयार किया गया है-कैडेस्ट्रल सर्वे एवं रिवीजनल सर्वे। इसमें
कैडेस्ट्रल सर्वे के ब्लू प्रिंट नक्सा के आधार पर रिवीजनल सर्वे किया जाता है।
VII.
भूमि पर सर्वे के दौरान की जाने वाली
मापी की प्रक्रिया करने के पूर्व उपकरण
1. चेन
वास्तविक में गंटरी चेन के बारे में जो मुख्यतः तीन प्रकार का होता है जैसे-गंटरी
चेन, अभियंत्रण चेन एवं शाहजहानी चेन जिसमें यहाॅं गंटरी चेन का उपयोग
किया जाता है।
2. 66
फीट बराबर 100 कड़ी एवं एक कड़ी बराबर 7.92
ईंच जो लगभग 8 ईंच के बराबर होता है।
3. बीस
कड़ी पर दो दाँत होते हैं एवं
प्रत्येक 10 कड़ी पर एक फुलिया होता तथा गोल फुलिया
प्रत्येक 50 कड़ी पर होता है। एक चेन से दूसरे चेन के बीच
सुजा/सुआ होता है। एक दाँत वाला फुलिया प्रत्येक 10 कड़ी पर एवं दो
दाँत वाला फुलिया प्रत्येक 20 कड़ी पर होता है। पूर्ण चेन से जमीन
पर मापन के दौरान यदि चेन के कुछ हिस्से से माप लेने की आवश्यकता होती है तो
इन्हीं फुलिया व सुआ के माध्यम से पूर्ण चेन एवं शेष चेन की लंबाई निकालकर जमीन का
वास्तविक मापन करते हैं।
4. गुनिया
जिसकी मदद से नक्शे पर प्रकाल की सहायता से माप कर जमीन पर उसके आधार पर मापा जाता
है। जैसे नक्शा में 16‘‘ (16 ईंच) बराबर एक मील का माप अनुमान्य
है। गुनिया में जरीब यथा एक जरीब से 5 जरीब तक, एवं 10
कड़ी तक का मापन रेखा अंकित रहता है। गुनिया से 30 जरीब तक का माप
किया जाता है। इससे कम का मापन स्केल के आधार पर कर लिया जाता है।
5. 2‘‘
(दो
ईंच) स्केल-इसमें 1‘‘ बराबर 5 जरीब एवं 1 जरीब में 5
खाना होता है। एक खाना में 20 कड़ी की माप होती है। 100 कड़ी बराबर एक
जरीब होता है।
6. मुस्तकिल
(थ्पग च्वपदज)-मुस्तकिल जो तीन मेड़ा या चैमेड़ा पर होता है, से
तीन लाईन जो ब्लू प्रिंट नक्शे पर होता है को जमीन पर मापते हैं। इसे कायम करने
हेतु टाई लाईन दी जाती है। यदि जमीन पर की
माप प्रकाल व गुनिया/स्केल से नक्शे पर की गई माप से मिल जाती है तो उस मुस्तकिल
को सही मान लिया जाता है। यदि मुस्तकिल नहीं मिलता है नक्शे के अनुसार जमीन पर तीन
मेड़ा या चैमेड़ा के खोज के लिये तीन लाईनों से जमीन पर मापन करते हैं। यदि तीनों
लाईन का जमीनी माप नक्शे पर के लाईन से मिल जाता है तो उस मिलान विन्दु को
मुस्तकिल मान लिया जाता है। तद्नुसार आगे की प्लोटों की मापी की जाती है। इस दौरान
राईटिंगल एवं झंडी का प्रयोग किया जाता है। इस दौरान निम्नांकित लाईनों को अंकित
किया जाता है यथा रवानगी लाईन, दाखिला
लाईन एवं खारजी लाईन तथा वापसी लाईन। इनके मिलान विन्दु को कटान के रूप में
दर्षाया जाता है।
VIII.
भू-सर्वेक्षण कार्य में प्रतिनियुक्त
पदाधिकारियों एवं क्षेत्रीय कर्मियों के कार्य
1. अमीन के कार्य-अमीन सर्वे
कार्य का एक महत्वपूर्ण कर्मी होते हैं जो निम्नांकित कार्य करते हैं।
ü अपने
स्तर से घोषणा पत्र एवं परवाना (आदेश) के माध्यम से ग्राम के मुखिया एवं ग्रामीण
रैयतों को सूचना।
ü ग्राम
का सीमा का निरीक्षण करते हुये तीन सिवानी पत्थर को स्थल पर देखना।
ü आवश्यक
आलातों की सहायता से जमीन पर माप करते हुये नक्शे पर मिलान कर उतारना।
ü नील
मानचित्र में गत सर्वे के भू-खंडों को स्थल पर नक्शा से तुलना करते हुये तीन मेड़ा,
चैमेड़ा
को सुनिष्चित कर मुस्तकिल कायम करना एवं टाई लाईन देना। नक्शा पर 20
जरीब से 25 जरीब के अन्दर की दूरी पर मुस्तकिल कायम किया जाता है।
ü नक्शा
के क्षेत्रफल के अनुसार सम्पूर्ण ग्राम का मुरब्बा कार्य संपन्न करना। इसके लिये
नये एवं पुराने नक्शे का मिलान करना तथा यह सुनिष्चित करना कि किसी भी परिस्थिति
में रैयती भू-खण्डों के साथ गैर-मजरूआ आम, गैर-मजरूआ खास (मालिक), कैसरे
हिन्द (भारत सरकार की भूमि), बकाष्त एवं नावल्दी (वैसी भूमि जिसका
को वारिसान न हो) की एराजी रैयती खाते में मिश्रित न हो जाय।
ü एक
मुस्तकिल से दूसरे मुस्तकिल तक के कुल दूरी एवं सभी भू-खंड का कटान खाका पर
दर्षाना। साथ ही नक्शा एवं स्थल पर चन्दा बनाकर मुरब्बा कार्य संपन्न करना।
ü अंतिम
पड़ताल करने हेतु फिल्ड बुक प्लौटिंग नक्शा एवं खाका सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी के
समक्ष प्रस्तुत करना। नक्शे में पेंसिल से एवं खाका में कलम से उल्लेखन होता है।
ü नक्शे
में नंबर देना जिसमें पुराने खाता व खेसरा नंबर को लाल स्याही से एवं नये नंबर को
नीला या काला स्याही से नंबर देना पड़ता है। नक्शा करने का कार्य चाईना ईंक से
किया जाता है।
ü याददास्त
पंजी का संधारण करना जिसमें क्रमबद्ध याददास्त नंबर दिया जाता है एवं किस्म जमीन
का निर्धारण करना।
ü जमीन
से जुड़े रैयतों का वंशावली तैयार करना।
2.
हल्का परिमाप निरीक्षक का कार्य-अमीन
द्वारा संपन्न कार्य यथा मुस्तकिल कायम करने का कार्य एवं मुरब्बा तैयार करने के
कार्य की जाँच परिमाप निरीक्षक करते हैं। इसके लिये सभी मुरब्बा को कर्ण लाईन एवं
उल्टी लाईन के माध्यम से जाँच करके खाका में मुरब्बा पारित परिमाप निरीक्षक द्वारा
किया जताा है।
ü याददास्त
एवं तनाजा पर दिये गये निर्देषानुसार खेसरा एवं खतियान की प्रविष्टियों की तुलना
करना।
ü साबिक
(पिछले) तेरिज के अनुसार अमीन द्वारा बनाये गये वंशावली की शत-प्रतिषत जाँच करना
ü वंशावली
जाँच के क्रम में ग्रामीण रैयतों से सम्पुष्टि कराकर वंशावली पास करना।
3. प्रारूपक-इनका प्रमुख कार्य है ब्लू
ईंक से नक्शा स्याह करना जो चाईना ईंक से किया जाता है।
-प्लौटिंग फिल्ड नक्शा को ट्रेसिंग पेपर
पर ट्रेस करना एवं किस्तवार किये गये नक्शे से तुलना हेतु सहायक बन्दोवस्त
पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना।
4. भ्रमण लिपिक का कार्य-सभी प्रकार के
भू-सर्वेक्षण अभिलेख, जो सर्र्वे के दौरान तैयार किये जाते हैं और
पूर्व के अभिलेख जो मंगाये जाते हैं, का रख-रखाव करना एवं समय पर उपस्थापन
करना।
शिविर पदाधिकारी का आदेश प्राप्त कर
अभिलेखों को अभिलेखागार में जमा कराना।
5. कानूनगो एवं सहायक बन्दोवस्त
पदाधिकारी-अमीन एवं परिमाप निरीक्षक के सर्वें के समय किये जाने वाले सभी कार्यों
की जाँच-पड़ताल करना एवं पास करना।
ü तनाजा
या आपत्ति प्राप्त होने पर उसे पक्षकारों की सम्यक् प्रक्रिया से सुनवाई कर
विवादों का निराकरण करना।
ü सर्वे
कार्य से जुड़े सभी सूचनायें एवं प्रतिवेदनों को बन्दोवस्त पदाधिकारी एवं प्रभारी
पदाधिकारी को भेजना।
नोट:-
ü यदि
ग्राम के अन्दर मुस्तकिल , तीन सिवानी, सीमा मुकाम सही
ढ़ंग से अपने स्थान पर नहीं हो तो उक्त ग्राम का किस्तवार नहीं किया जायेगा बल्कि
ऐसी स्थिति में हल्का परिमाप निरीक्षक, कानूनगो एवं सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी
अपने स्तर से जाँच कर ‘‘ट्रावर्स’’ कराने के बाद ही
किष्तवार /खानापूरी कार्य कराने हेतु
निर्णय लेने हेतु बंदोवस्त पदाधिकारी से पत्राचार कर आदेश प्राप्त करते हैं।
ü ट्रावर्स-इसे
एक लाईन द्वारा दर्षाया जाता है जो ट्रावर्स लाईन कहा जाता है। यह लाईन मौजे को
सीमाबद्ध करने के लिये खींची जाती है।
XI. सर्वे व बन्दोवस्त संबंधी शब्दों एवं उनके
अर्थ ।
शब्द अर्थ
1. तनाजा---- विवाद/परिवाद
2. तकसीम---- बाटना
3. तरसीम---- सुधार
करना
4. आलात/अलामात---- औजार/उपकरण
5. साबिक----- पिछला
6. फौती-फिरारी--- मृत/भागा हुआ
7. सहोन---- रेहन (बंधक) देने वाला
8. यादास्त--- यादगारी/स्मृति
9. मिसिल --- कागजात
10. मुस्तरी--- केवाला लेने वाला
11. तोखा लाईन--- दो
गावों की सीमा हेतु लाईन
12. नबैयत--- रैयत
की हैसियत
13. कैरा ---
जरीब की खूॅंटी
14. लट्ठा ---
बाँस की लाठी
15. जरीब--- जमीन
नापने की जंजीर
16. मन मोकिर --- जमीन
विक्रयकत्र्ता का नाम
17. मोकिर आलेह -- क्रयकत्र्ता का नाम
18. तायदाद जरसेमन-- जमीन का मूल्यांकन
19. तायदाद रकवा
मवाजी -- जमीन का क्षेत्रफल
20. केवाला--- डीड (विलेख)